गोपी जी. वी., पी.एच.डी.



गोपी जी. वी., पी.एच.डी.
वैज्ञानिक- डी
दूरभाष: 0135-2640111-115, विस्तार: 284
ई मेलgopigv@wii.gov.in

मेरे शोध का केन्द्रबिन्दु विशेषकर प्रबंधन एवं संरक्षण की समस्याओं के सन्दर्भ में वन्यजीव आबादियों के आयाम तथा पारिस्थितिकी है। मेरे अध्ययन के लिए रूचिकर क्षेत्र पूर्वी हिमालय तथा तटीय नमभूमियों के बीच विभाजित हैं। वर्ष 2001 से मेरे शोध क्षेत्र में तटीय व समीपवर्ती नमभूमियों में पाये जाने वाले समुद्री कच्छपों, नमक वाले पानी के मगरमच्छों, भारतीय स्किमर्स तथा समूह में रहने वाले जलपक्षियों का अध्ययन सम्मिलित है। मैंने पूर्वी हिमालय क्षेत्रों में भी अपने शोध कार्य को विस्तार दिया है। मेरे अन्वेषणों में संकटग्रस्त वन्यजीवों की प्रजातियां तथा पारिस्थितिकीय प्रक्रियाओं का प्रलेखन तथा मानव-वन्यजीव प्रतिक्रियाओं का अनुकरण करने वाली पद्धतियों का अध्ययन शामिल है। नमभूमि पारिस्थितिकी की समझ तथा प्रकृति चित्रण में मेरी विशेष रूचि है। 

विशिष्टता के क्षेत्र

नमभूमि पारिस्थितिकी; मैंग्रोव जीवविज्ञान तथा प्रबंधन; आबादी पारिस्थितिकी; व्यवहार पारिस्थितिकी तथा संरक्षण शिक्षा।

वर्तमान परियोजनायें

  • अरूणाचल प्रदेश के दिबांग घाटी जिले में बाघों का सर्वेक्षण एवं शिकार।

  • समूह बनाकर रहने वाले नमभूमियों द्वारा जैवसमूह उत्पादन की पद्धतियां तथा वन्यजीव खुरदारों द्वारा इसका उपयोग।

  • कश्मीर घाटी में शिकार प्रचुरता तथा भू उपयोग पद्धतियों के सन्दर्भ में तेंदुए पैंथरा पार्ड्स की पारिस्थितिकी।

  • आन्ध्र प्रदेश में पूर्ण गोदावरी नदी के मुहाने के पारितन्त्र के लिए प्रबंधन परितंत्र के ज्ञान की स्थापना।

  • कैलाश पवित्र भूदृश्य संरक्षण तथा विकास के लिए कदम।

 चयनित नये प्रकाशन

  • सेल्वन के. एम., गोपी जी. वी और एस.ए हुसैन (2013), एशियाई जंगली कुत्ता (Cuon alpinus), स्तनधारी जीव के आहार पसंद 78 (2013) 486-489

  • सेल्वन के. एम., गोपी जी. वी., एस. लिंगदोह, बी. हबीब तथा एस. ए. हुसैन (2013)। पूर्वी हिमालयी जैवविविधता के ट्रापिकल निचली भूमियों के वनों में तीन सिम्पेट्रिक बड़े मांस भक्षियों की खाद्य आदतें एवं शिकार का चयन। हाट स्पॉट  मैमेलियन बायोलॉजी | 78: 296-303।

  • सेल्वन के. एम., गोपी जी. वी., बी. हबीब एवं एस लिंगदोह (2013) भारत के अरूणाचल प्रदेश के जीरो घाटी में शिकार के कारण संकटग्रस्त व दुर्लभ वन्यजीवों की कमी। करेंट साइन्स 104 (11): 1492-1495।

  • सेल्वन के. एम., गोपी जी. वी., बी. हबीब तथा एस. लिंगदोह (2013) भारत के अरूणाचल प्रदेश के निचले सुबानसिरी की जीरो घाटी में लुप्तप्राय मार्बल्ड कैट पार्डोफेलिस मार्मोरादा के शिकार का रिकार्ड जर्नल आफ थे्रटेंड टैक्सा 5 (1): 3583-3584; डी ओ आई: 10. 11609/जे ओ टी टी ओ 3208. 100

  • सैल्वेदोर लिंगदोह, के. एम. सेल्वन, गोपी जी. वी. तथा बिलाल हबीब (2011) पश्चिमी अरूणाचल प्रदेश के पाक्के बाघ रिजर्व के दो दुर्लभ बिल्लियों के प्रथम चित्रित साक्ष्य। करेंट साइन्स 10, (10): 1284-1286।

  • चैधरी एस., गोपी जी. वी., मजमूदार के तथा समल पी. के. (2011) भारत के पूर्वी हिमालय के प्रस्तावित सांगयांग जियास्टो जैवमण्डल रिजर्व में टकराव पहचान तथा प्राथमिकतायें। जर्नल आफ बाम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी 107 (3): 189-197।

  • सेल्वेदोर लिंगदोह, गोपी जी. वी., बिलाल हबीब (2011) भारत के अरूणाचल प्रदेश के निचले सुवानसिटी जिले में स्पाटेड लिन सैंग प्रियोनोडान पार्डिकलर के शिकार का रिकार्ड। स्माल कार्निवोर कंसरवेशन 44: 27-28।

  • मिहिन डोलो, जी. वी. गोपी, कार्तिक तिगालापल्ली व कृपालज्योति मजमूदार (2010)। पारम्परिक ज्ञान तरीकों से आरेंज बैलीड हिमालयन गिलहरी का संरक्षणः अरूणाचल प्रदेश, भारत से एक केस अध्ययन। आरिक्स 44: 573-576।

  • तीगालापल्ली के., गोपी जी. वी. एवं प्रसन्ना के समाल (2009) कृषि के बदलते ढंग के कारण वनों की हानि: वर्तमान शोध का एक अवलोकन ट्रापिकल कंसरवेशन साइन्स, 2 (4): 374-387

  • गोपी जी. वी. एवं बिवाश पाण्डव (2009)। भीतरकनिका वन्यजीव अभयारण्य में क्रोकोडाइलस पोरोसस के साथ मानवों द्वारा स्थान साझा करनाः टकराव एवं विकल्प। करेंट साइन्स, 96 (4) 459-460.

  • गोपी जी. वी., पाण्डव बी. एवं संगीता आगोम (2009) उड़ीसा, पूर्वी भारत के भीतरकनिका में क्रोकोडाइलस पोरोसस की नेस्टिंग जीवविज्ञान के तथ्य। जर्नल आफ बाम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी 104 (3) 328-333.

  • गोपी जी. वी. , पाण्डव बी. एवं चैधरी बी. सी. (2006)। भारत के उड़ीसा तटीय किनारों में औद्योगिक ट्राल फिशरीज में ओलिव रिडले समुद्री कच्छपों की मृत्युता तथा अकस्मात् बन्दीकरण। शेलोनियन कंसरवेशन एण्ड बायोलोजी 5 (2)  276-280.