रजिस्ट्रार (कुलसचिव)



रूचि बड़ोला पी.एच.डी.
कुलसचिव, वैज्ञानिक-जी
दूरभाष: 0135-2640111-115 विस्तारः 263
ई मेल: ruchi@wii.gov.in

 

मैं स्नातकोत्तर डिग्री अर्थ शास्त्र में गढ़वाल विश्वविद्यालय से प्राप्त की व वर्ष 1988 में भारतीय वन्यजीव संस्थान में शोधकर्ता के रूप में कार्य आरम्भ किया। ‘‘राजाजी व कार्बेट राष्ट्रीय पार्कों से जुड़ने वाले हाथियों के वन मार्गों में मानव-वनों के अन्तर्ससम्बन्धों का आर्थिक आकलन’’ पर मैंने पी.एच.डी. किया। इसके पश्चात् 1993 में मैंने संस्थान के पारिविकास नियोजन व प्रतिभागिता प्रबंधन विभाग में संकाय सदस्य के रूप में कार्य आरम्भ किया।

मैं मानव जीव विज्ञान, प्राकृतिक पारितन्त्र की सामाजों आर्थिकी तथा मनव कुशलक्षेम व जैवविविधता संरक्षण के लिए पारितन्त्र सेवाओं का योगदान सम्बन्धी विषयों पर शोध कार्य में व्यस्त हूँ। मैं जैवविविधता संरक्षण में समुदाय प्रतिभागिता के लिए नियोजन के क्षेत्र में राज्य वन विभागों व अन्य स्टेक होल्डर्स के क्षमता निर्माण, स्थानीय समुदायों के लिए प्रति पालनीय आजीविका विकल्पों का विकास, प्राकृतिक संसाधनों से होने वाले समस्याओं को सुलझाना तथा पारितन्त्र सेवाओं के मूल्यांकन को पूरा करना आदि विषयों पर प्रशिक्षण कार्यक्रम लागू करती हूँ।

विशिष्टता

जैवविविधता संरक्षण में सामुदायिक स्टेक होल्डर प्रतिभागिता; पारिस्थितिकीय अर्थशासत्र; पारितन्त्र सेवाओं का मूल्यांकन; प्रतिपालनीय आजीविका; टकराव प्रबंधन; संरक्षण में लैंगिक मुद्दे।

जारी परियोजनायें

केईबुल तामजाओं राष्ट्रीय पार्क, मनिपुर में संगई (रयूसेरस एल्डी एल्डी) तथा इसकी नमभूमि प्राकृतिकवास की संरक्षण पारिस्थितिकी। पश्चिमी हिमालय में जलवायु में स्थानीय समुदायों की संवेदनशीलता को कम करने के लिए एकीकृत दृष्टिकोण।

मुख्य प्रकाशन

  • हुसैन एस.ए. एवं आर. बड़ोला (2008)। मैंग्रोव पारितन्त्र सेवाओं का मूल्यांकन: मैंग्रोव वनों के कृषि पारितन्त्र उत्पादन बढ़ाने में पोषण अवधारण क्रियाओं से जुड़ाव।

  • ओगरा, एम. एवं आर. बड़ोला (2008): संरक्षित क्षेत्र समुदायों में मानव-वन्यजीव टकराव को कम करना: उत्तराखंड, भारत से भूस्तरीय संदर्श। ह्यूमन ईकोलोजी 36 (5): 717-729।

  • चन्दोला एस., आर. बड़ोला एवं एस.ए. हुसैन (2007)। राजाजी नेशनल पार्क, भारत में तथा उसके आसपास संरक्षण कार्यक्रमों में स्त्रियों की प्रतिभागिता को प्रभावित करने वाले कारक। जर्नल आफ इण्डियन एन्थ्रोपोलोजिकल सोसायटी। (42): 11-23।

  • अम्बस्था, के., एस.ए. हुसैन तथा आर. बड़ोला (2007)। इण्डो-गंगेटिक मैदानों के नम भूमियों के संरक्षण में सामाजिक एवं आर्थिक मान्यताएं: भारत के कबरताल नमभूमियों का एक केस अध्ययन । एनवायरन्मेंटलिस्ट 27 (2) 5 261-273।

  • बड़ोला आर. व एस. ए. हुसैन (2005)। पारितन्त्र कार्यक्रमों का मूल्यांकन: भीतरकनिका मैंग्रोव पारितन्त्र, भारत के वेगवायु सुरक्षा कार्यक्रमों पर अनुभवपरक अध्ययन। एनवायरमेंटल कंसरवेशन 32 (1): 85-92।

  • बड़ोला आर. एवं एस. ए. हुसैन (2003)। अदनवाटिका में टकराव: भारतीय हिमालय में स्त्री व सुरक्षित क्षेत्र। माउनटेन रिसर्च एण्ड डेवलेप्मेंट 23 (3) 238-239।