नवीनतम घटनायें



  • नायार नदी तट पर सातवाँ हिमालय दिवस

    हिमालय श्रंखला , जो कि पहाड़ों एवं उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में रहने वाले लाखों लोगों को जीवन प्रदान करती है, उसको सुरक्षित रखने हेतु जागरुकता प्रदान करने के लिये सन् 2010 से 9 सितम्बर को ‘हिमालय दिवस’ मनाया जाता है। भारतीय वन्यजीव संस्थान इस दिवस को प्रत्येक वर्ष प्रशिक्षण, कार्यशाला, व्याख्यान एवं सेमिनार का आयोजन करके मनाती है। इस वर्ष हिमालय दिवस का विषय वस्तु ‘नदियों की पारिस्थितिकी सेवा’ है। इसलिये भा00सं0 ने सातवाँ हिमालय दिवस पौड़ी जिले के नायार नदी जो कि उत्तराखण्ड में सुनहरी मशीर के संरक्षण के लिये प्रमुख नदी है, के तट पर ‘हिमालयन नदियों की पारिस्थितिकी सेवा’ विषय पर प्रशिक्षण एवं संरक्षण जागरुकता पर कार्यशाला का आयोजन करते हुये मनाया। यह कार्यशाला राष्ट्रीय मिशन के अन्तर्गत हिमालयन पारितन्त्र को जीवन्त रखने हेतु विज्ञान एवं तकनीकी विभाग द्वारा प्रदत्त/पोषित निधि से आयोजित की गयी। यह कार्यशाला राजकीय इण्टर कालेज बिल्कोट,  पौड़ी में आयोजित की गयी थी जिसमें स्कूली छात्रों, वन कर्मियों,  उत्तराखण्ड वन विभाग के कर्मचारी गण एवं नजदीकी क्षेत्रों के मछुआरों सहित 70 लोगों ने भाग लिया। हिमालयन एवं इसकी जैव विविधता के संरक्षण के सन्देश के साथ कार्यशाला का उद्घाटन भा00सं0 के डा0 सत्यकुमार बिल्केट इण्टर कालेज के श्री एच0 केस्तवाल,  मुख्य वन संरक्षक श्री गिरिश कुमार रस्तोगी एवं प्रभागीय वन अधिकारी श्री रमेश चन्दर द्वारा किया गया। हेमवती नन्दन बहुगुणा विश्व विद्यालय पौड़ी परिसर के जुलोजी विभागाध्यक्ष डा0 अनूप डोबरियाल कार्यशाला के मुख्य अतिथि थे। उन्होंन ‘हिमालयन नदियों की पारिस्थितिकी की सेवा’ विषय पर व्याख्यान दिया। नयार नदी के तट पर डा0 के0 शिव कुमार एवं डा0 जानसन द्वारा अभ्यास का प्रशिक्षण दिया गया। इसके बाद सभी प्रतिभागियां को समूहों में विभाजित करके नदियों की पारिस्थितिकी गुणवत्ता मूल्यांकन एवं रेस्टोरेशन तकनीक का अभ्यास कराया गया। विभिन्न वैज्ञानिक तकनीकों द्वारा विनाशकारी मत्स्य शिकार के नुकसान को भी बताया गया। प्रशनोत्तरी के माध्यम से प्रतिभावान छात्रों को पुरस्कार प्रदान किया गया। भारतीय वन्यजीव संस्थान के डा0 वी0 पी0 उनियाल द्वारा भविष्य में युवाओं के लिये इस प्रकार के कार्यशाला एवं प्रशिक्षण के आयोजन पर जोर देते हुये समापन भाषण दिया गया। डा0 विनीत दूबे एवं सुश्री आशना शर्मा के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यशाला का समापन हुआ।

    I approve Content is free from offensive/discriminatory language and the language is free from spelling and grammatical errors: 
  • 70 वें स्वतंत्रता दिवस दिवस समारोह

    15 अगस्त 2016 को भारत का 70 वाँ स्वतन्त्रता दिवस भारतीय वन्यजीव संस्थान में धूम धाम से मनाया गया। संस्थान के निदेशक डा. वी. बी. माथुर ने ध्वजारोहण करते हुये आजादी के संघर्ष के दरम्यान भारत वासियों के बलिदानों को स्मरण किया, जिनसे स्वाधीनता की प्राप्ति हुयी।

    उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने संस्थान को चार संकट ग्रस्त वन्यजीव प्रजातियों ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, जेनेटिक डाल्फिन, डुगांग एवं मणिपुरी हिरन को बचाने हेतु योजना बनाने एवं उनके कार्यान्वयन हेतु उत्तरदायित्व प्रदान किया है, और संस्थान ने उन चूनोतियों को उन चैदह राज्यों में जहाँ ये पाये जाते हैं इनके संरक्षण हेतु कार्य शुरू कर दिया है। इसी प्रकार गंगा स्वच्छता के राष्ट्रीय अभियान के तहत संस्थान के परिसर में ‘गंगा अक्वालाइफ संरक्षण हेतु अनुश्रवण केन्द्र की स्थापना की गई है एवं ‘गंगा जैव विविधता ज्ञान केन्द्र’ की भी स्थापना उत्तर प्रदेश के के नरोरा एवं सारन्थ में बिहार के साहिब गंज में एवं झारखण्ड के भागलपुर में की गयी है। उन्होंने संस्थान के वैज्ञानिकों शोधछात्रों  विद्यार्थियों एवं कर्मियों से विभिन्न प्रकार की चुनौतियों एवं संस्थान को प्रदत्व जिम्मेदारियों/ उत्तरदायित्त्वों को सफलतापूर्वक पूरा करने का अनुरोध किया। संस्थान की स्टाफ वेलफेयर समिति द्वारा संस्थान कर्मियों के बच्चों द्वारा कक्षा 10 एवं कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिये पुरस्कृत किया गया।

     

    क्रमांक

    बच्चों के नाम कक्षा प्राप्त प्रतिशत
    1 श्री ऋषभ कुमार पुत्र श्री रामू कुमार 10 95.00%
    2 श्री यशराज सिंह अधिकारी पुत्र श्री भूपेन्द्र सिंह अधिकारी 10 93.33%
    3 कु0 सिग्धा सिंगल पुत्री श्रीमति सुनीता अग्रवाल 10 92.50%
    4 श्री दिव्यांश कपरूवान पुत्र श्री सी. पी. शर्मा 10 91.50%
    5 श्री दिवाश भण्डारी पुत्र श्री निरंजन भण्डारी 10 85.50%
    6 कु0 शिवानी कुकरेती पुत्री श्री सुधीर कुमार 10 95.50%
    7 श्री अभिषेक असवाल पुत्र श्री नरेन्द्र असवाल 10 81.70%
    8 श्री शिखर जोली पुत्र श्रीमति बलजीत कौर 10 78.83%
    9 श्री रीतेश कुमार पुत्र श्री धरम सिंह 10 78.66%
    10 श्री रित्विक गुप्ता पुत्र श्री एम.डी. गुप्ता 12 95.60%
    11 श्री मानवेन्द्र सिंह ठाकुर पुत्र श्री प्रवीन कुमार ठाकुर 12 88.66%
    12 कु0 मुस्कान अग्रवाल पुत्री श्रीमति अल्का अग्रवाल 12 84.83%
    13 कु0 अनन्या बिष्ट पुत्री श्री नरेन्द्र सिंह बिष्ट 12 84.83%
    14 श्री अभिषेक कठैत पुत्र श्री जगत सिंह कठैत 12 78.40%
    15 श्री अमन सिंह धमन्दा पुत्र श्री पद्म सिंह धमन्दा 12 78.00%

    ध्वजा रोहण समारोह के पश्चात् संकाय के परिसर में संकाय सदस्यों स्टाफ शोधछात्रों विद्यार्थियों एवं बच्चों द्वारा फूल एवं फलदार पौधों का वृक्षारोपण किया गया।

     

    ध्वजरोहण समारोह  
    कक्षा ग्यारहवीं और बारहवीं बोर्ड परीक्षा में उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए पुरस्कार:

    परिसर में वृक्षारोपण कार्यक्रम

     

    I approve Content is free from offensive/discriminatory language and the language is free from spelling and grammatical errors: 
  • विश्व विरासत दिवस समारोह 2016

    Unesco

    विश्व धरोहर स्थलों के सौन्दर्य वैभव एवं जैविकीय समृद्धि को स्मरण करने और भावी पीढ़ी के लिये इन क्षेत्रों के संरक्षण की दिशा में मानव जाति की प्रतिबद्धता को दोहराने हेतु हर वर्ष विश्व विरासत दिवस वैश्विक स्तर पर 18 अप्रैल को मनाया जाता है।

    भारतीय वन्यजीव संस्थान (भा.व.सं.) में यूनेस्को कैटेगरी 2 सेन्टर ने कई कार्यक्रमों के श्रंखलाबद्ध आयोजन के द्वारा 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस मनाया। भारत वर्ष के दो विश्व धरोहर स्थलों नन्दादेवी राष्ट्रीय पार्क उत्तराखंड और गे्रट हिमालय नेशनल पार्क हिमाचल प्रदेश के समीप स्थित स्कूली छात्रों के साथ मॉडल स्कूल राष्ट्रीय राष्ट्रीय दृष्टिबाधित संस्थान देहरादून के छात्रों ने इस आयोजन में प्रतिभाग किया। व्याख्यान, क्षेत्रभ्रमण, हंसी ठिठोली एवं सां सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से विद्यालय के छात्रों में जागरूकता पैदा करने की भावना को समारोह में केन्द्रित किया गया। तीन स्कूलों से कुल 36 विद्यार्थियों ने भा.व.सं. के विश्व विरासत दिवस समारोह में प्रति भाग किये। 

    दिन की शुरूआत भारतीय वन्यजीव संस्थान के परिसर में, जो कि विभिन्न प्रजाति के वनस्पतियों एवं वन्यजीवों से युक्त है, विद्यालयी छात्रों के नेचर परिभ्रमण से हुयी। यूनेस्को कैटेगरी 2 के प्रतिनिधियों ने छात्रों को परिसर में भ्रमण कराया एवं वन तथा वन्यजीव के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराया। इसके बाद स्टाफ के सदस्यों द्वारा भा.व.सं. एवं यूनेस्को कैटेगरी 2 की गतिविधियों पर संक्षिप्त प्रस्तुति दी गयी। तत्पश्चात् वन अनुसंधान संस्थान देहरादून, जो कि एक राष्ट्रीय विरासत है, के भ्रमण पर छात्रों को ले जाया गया । वन अनुसंधान संस्थान के स्टाफ सदस्यों द्वारा संस्थान के कार्यों के विषय में संक्षिप्त जानकारी प्रदान की गयी। छात्र वन अनुसंधान संस्थान के मुख्य भवन में स्थित संग्रहालय का भी भ्रमण किये, जहाँ वे कीटविज्ञान एन. डब्ल्यू. एफ. पी. उत्पाद् एवं वन पैथोलोजी के विषय में संक्षिप्त जानकारी प्राप्त की।

    साथी छात्रों और यूनेस्को कैटेगरी 2 केन्द्र के कर्मचारियों के साथ दोस्ताना बात चीत के बाद, भारतीय वन्यजीव पर आधारित ‘दिल्ली सफारी’ नाम की फिल्म छात्रों को दिखाई गयी। फिल्म दिखाने का मुख्य उद्देश्य युवा प्रतिभागियों को वन एवं वन्यजीव के बारे में एवं वे कैसे मनुष्यों के साथ पृथ्वी पर सह अस्तित्व कर सकते हैं, इस विषय में जागरुक करना था।

     

     

    इसके बाद छात्रों के लिए चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्री स्कूल से हाईस्कूल तक के प्रतिभागियों को प्र प्रकृति, वन्यजीव, सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक विश्व धरोहर स्थलों से सम्बन्धित उचित विषयों के चार समूहों में वर्गीकृत किया गया था। बाद में शाम को प्रत्येक समूह के विजेताओं को पुरस्कार वितरित किये गये।

    शाम को छात्रों, शोधकर्ताओं, संकाय सदस्यों, कर्मचारियों एवं भा.व.सं. परिवार द्वारा प्रतिपादित सांस्कृतिक कार्यक्रम जिनमें गायन, नृत्य एवं नाटक शामिल थे, समारोह का मुख्य आकर्षण था। समापन समारोह, धरोहर रैम्प वाक जिनमें संस्थान के संकाय सदस्य भारतीय विश्व धरोहर स्थलों के साथ सम्बन्धित संघों का प्रतिनिधित्व करते हुए मौजूद थे। राष्ट्रीय गान के साथ समारोह का समापन हुआ। 

    डब्ल्यू.आई.आई. प्रकृति ट्रेल पर छात्र

    यूनेस्को कैटेगरी 2 सेन्टर स्टाफ के सदस्यों पर डब्ल्यूआईआई और यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों प्रस्तुति दी

    चित्रकला प्रतियोगिता में भाग लेते स्कूली छात्र

    एम.एस.सी के छात्र विश्व विरासत दिवस समारोह में प्रस्तूति देते हुए

    डब्ल्यू.आई.आई शोधकर्ताओं ने सुंदरवन लैंडस्केप पर नृत्य प्रदर्शन देते हुए

    डब्ल्यू.आई.आई शोधकर्ताओं विरासत दिवस समारोह में भाग लेने

    डीन, FWS विरासत दिवस समारोह में भाग लेते हुए

    निदेशक डब्ल्यू.आई.आई विश्व विरासत दिवस 2016 में भाग लेते हुए
    (NIVH) के छात्रों द्वारा प्रदर्शन
    नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान से छात्र उत्तराखंड की सांस्कृतिक कार्यक्रम

    पशु पोशाक में समारोह में भाग लेते हुए बच्चे

    चित्रकला प्रतियोगिता पुरस्कार वितरण समारोह
    डब्ल्यू.आई.आई संकाय सदस्य विश्व विरासत दिवस में भाग लेते हुए

    चित्रकला प्रतियोगिता के परिणाम   (65 kb)

    I approve Content is free from offensive/discriminatory language and the language is free from spelling and grammatical errors: 
  • प्रोफेसर शेखर पाठक की ‘कैलाश-मानस प्राकृतिक व सांस्कृतिक विरासत’ पर वार्ता भारतीय वन्यजीव संस्थान में हिमालय दिवस मनाया गया , देहरादून, 9 सितम्बर 2015.

    भारतीय वन्यजीव संस्थान में हिमालय दिवसमनाया गया, जिसमें 250 से अधिक वैज्ञानिकों, वन्यजीव प्रबंधकों, शोधकत्र्ताओं एवं वन्यजीव विज्ञान के विद्यार्थियों व संस्थान के कर्मचारियों ने भाग लिया। उत्तराखण्ड के लोग जानते हैं कि वर्ष 2010 में इसी दिन डा0 अनिल जोशी के नेतृत्व में पर्यावरणविदों और नागरिकों के एक समूह ने हिमालय और अपने लोगों को बचाने के लिये एक केन्द्रित नीति तैयार करने के लिये सरकार से आग्रह किया था। इसके बाद एक घोषणा-पत्र तैयार किया गया था एवं एक साल की लम्बी देशव्यापी बहस और विचार-विमर्श के आधार पर सरकार को प्रस्तुत किया गया था। तब से इस दिन को हिमालय के लिये सतत् विकास और पारिस्थितकीय स्थिरता के लिये समाधान का संदेश फैलाने के लिये हिमालय दिवसके रुप में मनाया जाता है। राज्य सरकार ने 9 सितम्बर को आधिकारिक रुप से हिमालय दिवसघोषित किया, जिसमें यह दिन, हिमालय की पारिस्थितिकी प्रणालियों के संरक्षण का संदेश प्रसारित करने के लिये मनाया जायेगा। वर्ष 2015 के लिये विषय है सबका हिमालय

    भारतीय वन्यजीव संस्थान के निदेशक डा0 वि.बि. माथुर ने बताया कि संस्थान, वर्ष 2011 के बाद से हर साल हिमालय दिवस मनाता आ रहा है। इस वर्ष के लिये हमने प्रो0 शेखर पाठक, प्रख्यात इतिहासकार, लेखक, वक्ता और प्रकृतिवादी को आमंत्रित किया। जिन्होंने कैलाश-मानस प्रकृति और संस्कृतिपर वार्ता प्रस्तुत की। यह वार्ता संस्थान के सभागार में आयोजित की गई। डा0 शेखर पाठक  उत्तराखण्ड के जाने माने इतिहासकार, लेखक और विद्वान हैं। वे कुमाऊँ विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर हैं अैार भारत सरकार ने उन्हें 2007 में पद्मश्री से सम्मानित किया है। अपनी वार्ता में उन्होंने कैलाश-मानसरोवर यात्राका उल्लेख किया और इस परिदृश्य के प्राकृतिक व सांस्कृतिक मूल्यों के बारे में बताया। यह स्थान भगवान शिव के निवास के रुप में हिन्दुओं के लिये महत्वपूर्ण है और जैन व बौद्धों के लिये भी धार्मिक महत्व रखता है। दुनिया की प्रमुख नदियां-सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र हिमालय से निकलती हैं। उनके संयुक्त जल निकासी वाले बेसिन में कुल 600 मिलियन लोगों के लिये घर है। पूर्वी उत्तराखण्ड, पश्चिमी नेपाल और दक्षिणी तिब्बत में रहने वाले लोग इस परिदृश्य का अभिन्न हिस्सा है।

    भारतीय वन्यजीव संस्थान के डीन, डा. पी.के. माथुर ने कहा कि सभी बातों को ध्यान में रखते हुये भारत, चीन व नेपाल की सरकारें एक साथ आगे आई हैं, जिससे आई.सी.आई.एम.ओ.डी. (ईसीमोड) द्वारा समन्वित कैलाश पवित्र लैण्डस्केप में साझा संरक्षण एवं सतत् विकास के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके।

    हिमालय की अनूठी जैव और वनस्पतियां, जलवायु परिवर्तन के कारण संरचनात्मक व संघटनात्मक परिवर्तन से गुजर रही है। तापमान में वृद्धि के कारण विभिन्न प्रजातियां अधिक ऊँचाई की ओर ठिकाना तलाश रही है। कुछ प्रजातियों के पौधों में जल्दी फूल व फल आने की खबरें मिल रही हैं, ऐसा संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. जी.एस. रावत ने बताया।

    यह तथ्य दर्शाते हैं कि हिमालय, सांस्कृतिक, जातीय, पारिस्थितिकीय व आर्थिक मूल्यों के आधार पर देश की आत्मा है। यह केवल देश की सीमाओं की ही रक्षा नहीं करता, बल्कि मिट्टी, हवा, पानी को समृद्ध बनाकर लोगों की सेवा कर रहा है। दुर्भाग्यवश, राष्ट्र के समग्र विकास में इसकी अखण्ड भूमिका को कमतर आंका गया है। जिससे हिमालय के पारितंत्र में गिरावट आती जा रही है। वन, जल की स्थिति, हवा एवं पानी की स्थिति अत्यन्त गंभीर होती जा रही है।

    पर्यावरण कार्यकत्र्ताओं और वैज्ञानिकों के अनुसार प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के साथ ही बांधों तथा ब्रह्मपुत्र, सिंधु व गंगा जैसी नदियों  पर बड़े खतरों का सामना है। इन नदियों पर भारत की जल सुरक्षा का दायित्व है और भारत की लगभग 43 प्रतिशत जनसंख्या अपनी पानी की जरूरतों कि लिये सिर्फ गंगा पर निर्भर करती है।

    हमें यह नहीं भूलना चाहिये कि हिमालय हमारी सबसे बड़ी धरोहर है। यह जैवविविधता का भण्डार है और सदियों से पर्वतीय व मैदानी क्षेत्रों में सतत् जीवन के लिये प्राकृतिक संसाधनों को देता रहा है।

    डा. पाठक ने इस अवसर पर कहा कि अनादिकाल से गंगा के किनारों एवं तिब्बत के पठारों में निवास कर रहे सभी समुदायों के लिये हिमालय एक पवित्र स्थान रहा है। डा0 पाठक ने अपने विस्तृत व्याख्यान में बताया कि लगभग 600 मिलियन लोग अपनी दैनिक गतिविधियों और आजीविका के लिये हिमालय पर निर्भर रहते हैं। जीवन की विविधता एवं मानवीय समुदाय दोनों ही हिमालय में अद्वितीय रूप में हैं। तेजी से बदल रही इस दुनिया में हमें हिमालयी पारितंत्र को हो रही क्षति को कम करने और इसे समझने की आवश्यकता है। 

    हिमालय क्षेत्र के राज्यों व वहाँ के लोगों को निश्चित रूप से आर्थिक विकास की जरूरत है, लेकिन हिमालयी राज्यों की राजधानियों और नई दिल्ली में बैठे योजनाकारों और नीति निर्माताओं को क्षेत्र की पारिस्थितिकी व भंगुरता को ध्यान में रखते हुए विकास व आर्थिक वृद्धि की नीतियाँ बनानी चाहिये।

      

  • 9 सितंबर, 2014 को भारतीय वन्यजीव संस्थान में हिमालय दिवस समारोह

    भारतीय वन्यजीव संस्थान में हिमालय दिवस समारोह मनाया गया, जिसमें 50 से अधिक वैज्ञानिकों, शोधकत्र्ताओं और विद्यार्थियों ने भाग लिया। इस अवसर पर पीपुल्स साइन्स इन्स्टीट्यूट के निदेशक, डा. रवि चोपड़ा मुख्य अतिथि के रूप में पधारे और उन्होंने हिमालय में प्रतिपालनीय विकास पर एक वार्ता प्रस्तुत की।

    संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. एस. सत्यकुमार ने डा. रवि चोपड़ा और सभी प्रतिभागियों का स्वागत करने के पश्चात् भारतीय वन्यजीव संस्थान के हिमालय में किये जा रहे अनुसंधान एवं संरक्षण प्रयासों के बारे में बताया और यह भी बताया कि हम हिमालय दिवस क्यों मनाते हैं।

    डा. रवि चोपड़ा ने बताया कि अंधाधुंध विकास की तीव्र गति के कारण हिमालय क्षेत्र में सभी प्रकार की पर्यावरणीय एवं सामाजिक समस्यायें बढ़ रही हैं। उन्होंने समुदायों की सहभागिता, आपदाओं से निपटने की बेहतर तैयारी एवं पर्यावरण के अनुकूल आजीविका के साधनों के माध्यम से लगातार विकास के महत्व पर जोर दिया।

    डा. रवि चोपड़ा और उनकी टीम ने स्थानीय समुदायों की क्षमता निर्माण के माध्यम से भारत के सर्वाधिक गरीब लोगों की सेवा में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए नवीन रचनात्मक प्रयास किये हैं, जिससे उनके स्वयं के विकास की तैयारी, परियोजना क्रियान्वयन और उसके फलस्वरूप बनी परिसम्पत्तियों के प्रबंधन में मदद मिली है।

    वर्ष 2010 में हिमालय के पारितंत्रों के संरक्षण के बारे में चिंतित लोगों ने 9 सितम्बर को हिमालय दिवस के रूप में चुना, जिससे हिमालय को बचाने के लिये आम लोगों के मध्य जागरूकता फैलाई जाये, जो आज बढ़ती मानवीय गतिविधियों के कारण गंभीर खतरों का सामना कर रहा है। तब से अनेक संस्थान और संगठन इस दिन को हिमालय दिवस के रूप में मनाते हैं और कई विचार मंचों और जागरूकता लाने सम्बन्धी कार्यक्रम का आयोजन करते हैं।

  • XXXVI पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा पाठ्यक्रम आरम्भ

    XXXVI पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा पाठ्यक्रम आरम्भ

     

    XXXVI पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा पाठ्यक्रम  सितम्बर 1, 2014 को आरम्भ हुआ। दस माह की अवधि के इस पाठ्यक्रम के दौरान संस्थान में शिक्षण देना और देश के विभिन्न संरक्षित क्षेत्रों का भ्रमण कराना शामिल है। भारतीय वन्यजीव संस्थान को इस पाठ्यक्रम के लिये अच्छी प्रतिक्रियायें प्राप्त हुई और अन्त में संस्थान द्वारा 21 अधिकारियों के नामांकन स्वीकार किये गये ।इन 21 अधिकारियों में से 17 अधिकारी भारत के 14 विभिन्न राज्यों से और 4 विदेशी नागरिक बंगलादेश से हैं। सात अधिकारियों ने अपने वर्तमान वर्ष 2014 के दौरान चल रहे प्रेरण प्रशिक्षण को पूर्ण करने के तुरन्त बाद ही इस पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया। पहले दिन संस्थान के निदेशक, संकाय सदस्यों व अनुभाग अध्यक्षों के साथ उनके संक्षिप्त परिचय का सत्र आयोजित किया गया। इस अवसर पर सम्बोधित करते हुए डीन, वन्यजीव विज्ञान संकाय ने प्राकृतिक संसाधन के प्रबंधन के लिए वैज्ञानिक प्रशिक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया। निदेशक, भारतीय वन्यजीव संस्थान ने युवा प्रशिक्षु अधिकारियों को अपने प्रशिक्षण का सर्वोŸाम उपयोग अर्जित करने की सलाह दी।

  • वन्यजीव प्रबंधन में विशेष सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम

    तीन माह की अवधि का वन्यजीव प्रबंधन में विशेष सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम 1 सितम्बर 2014 को आरम्भ हुआ। बंगलादेश वन विभाग की ओर से भारतीय वन्यजीव संस्थान को तीन महीने की अवधि का सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम आयोजित करने का अनुरोध प्राप्त हुाआ था। इसके लिये बंगलादेश सरकार ने ‘‘वन्यजीव सुरक्षा के लिये क्षेत्रीय सहयोग मजबूत करने’’ की परियोजना के अन्तर्गत् वन्यजीव एवं जैवविविधता संरक्षण अधिकारी या समकक्ष स्तर के 16 अधिकारी नामांकित किये थे। इस पाठ्यक्रम को प्रतिभागियों की अपेक्षाओं के अनुसार संशोधित किया गया। प्रतिभागियों को कक्षाओं में व्याखानों, अभ्यासों और क्षेत्र-भ्रमण के रूप में 10 माॅड्यूल में प्रशिक्षण दिया जायेगा। ये प्रतिभागी 15 अक्टूबर, 2014 तक संस्थानों में रहेंगे और उसके पश्चात् नमभूमि, तकनीकी और प्रबंधन दौरों के लिये देश के विभिन्न संरक्षित क्षेत्रों की यात्रा करेंगे। यह पाठ्यक्रम 1 दिसम्बर, 2014 को कोलकाता में सम्पन्न होगा।
     

    मोहम्मद कम्म्रुज्ज़मन मोहम्मद मनिरुल इस्लाम अल्लामा शिबली सादिक मोहम्मद अज़िज़र रहमान
    हातेम सज्ज़त मोहम्मद ज़ुल्कार  नाइन इशरत जहाँ मोहम्मद मोफिजुर रहमान चौधरी मोहम्मद मोनिरुल इस्लाम
    मोहम्मद मोंज़ुरुल आलम पिंकी कुमार धर राजू अहमद मोहम्मद राशेदुल कबीर भुइयां
    सलमा एक्टर मोहम्मद शैर्फुज्ज़मन मोहम्मद तारिक कबीर ज़हिरुल कबीर शाहीन
  • भा.व.सं. में एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र के लिये यूनेस्को के प्रशिक्षण केन्द्र की आधारशिला रखे जाने का समारोह

    संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) के एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र के लिये विश्व प्राकृतिक धरोहर प्रबंधन व प्रशिक्षण पर श्रेणी 2 केन्द्र की आधारशिला भारतीय वन्यजीव संस्थान में 30 अगस्त, 2014 को श्री प्रकाश जावडे़कर, सम्माननीय पर्यावरण, वन जलवायु परिवर्तन मंत्री (स्वतन्त्र प्रभार), भारत सरकार द्वारा रखी गई। केन्द्र का ध्येय एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र में विश्व प्राकृतिक धरोहर स्थल अभिलेख, सुरक्षा संरक्षण एवं प्रबंधन में शामिल सभी व्यावसायिकों व निकायों की दक्षता निर्माण के द्वारा एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र में विश्व धरोहर अधिवेशन के क्रियान्वयन को सुदृढ़ करना है। यह केन्द्र  (अ) कार्यशालाओं, पाठ्यक्रमों और अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों सहित अल्पावधि एवं दीर्घावधि दक्षता निर्माण गतिविधियां आयोजित करेगा; (ब) समुदाय सहभागिता के माॅडलों पर विशेष रूप से केन्द्रित करते हुए प्राकृतिक विश्व धरोहर सुरक्षा एवं प्रबंधन से सम्बन्धित चिन्ह्ति किये गये प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर शोधकार्य करना; (स) क्षेत्र से सम्बन्धित प्राकृतिक विश्व धरोहर  मुद्दों पर  जनसामान्य  की पहुंच में आने वाले प्रलेखलन केन्द्र को विकसित करना एवं बनाये रखना; (द) अन्य क्षेत्रीय संसाधन केन्द्रों के साथ विशेषज्ञों के आदान-प्रदान हेतु कार्यक्रमों को लागू करना; एवं (इ) विश्व धरोहर स्थल प्रभंधको के क्षेत्रीय नेटवर्क के विकास को आसान बनाना एवं यूनेस्को विश्व धरोहर अधिवेशन की स्टेट पार्टीज के साथ उनकी गतिविधियों एवं विश्व धरोहर से संबंधित मौजूदा श्रेणी 2 केन्द्रों के नेटवर्क का समन्वय करना।

    हालांकि सांस्कृतिक धरोहर पर यूनेस्को ने चीन, नार्वे, दक्षिण अफ्रीका, बहरीन, मेक्सिको,   इटली, ब्राजील और स्पेन जैसे देशों में आठ केन्द्र बनाये हैं, पर प्राकृतिक विश्व धरोहर पर कार्य करने वाला भा.व.सं. में स्थापित केन्द्र विश्व का पहला केन्द्र है।

    भा.व.सं. में यूनेस्को केन्द्र की आधारशिला रखे जाने के उपलक्ष्य में आयोजित एक समारोह में भा.व.संत्र के निदेशक डा.वी.बी.माथुर ने केन्द्र के बारे में बताया और कहा कि यह केन्द्र प्राकृतिक धरोहर के परिरक्षण में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों में योगदान के लिये भा.व.सं. की क्षमताओं की वैश्विक मान्यता को दर्शाता है। सम्माननीय केन्द्रीय मंत्री श्री प्रकाश जावडे़कर ने प्रोफेशनल्स और कर्मचारियों के बड़े समूह को सम्बोधित करते हुए (http://youtu.be/2bjOuKbzydI)), भा.व.सं. के प्रयासों को श्रेय दिया, जिनमें यूनेस्को केन्द्र की स्थापना हेतु प्रयास एवं समन्वित विकास एवं संरक्षण नियोजन हेतु विभिन्न अनुसंधान परियोजनाओं के प्रयास शामिल हैं। उन्होंने प्रकृति से उनके जुड़ाव और गहरी रूचि के बारे में बताया और देश की प्राकृतिक सम्पदा की सुरक्षा हेतु अपने संकल्प को दोहराया। उन्होंने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को तकनीकी सलाहकारिता में भा.व.सं. के योगदान का स्वागत किया एवं संगठन के समग्र कल्याण व राष्ट्र निर्माण हेतु सहयोग मांगा।

    आधारशिला  रखे जाने एवं उसके बाद के आयोजन में डा. एस.एस. गब्र्याल, वन महानिदेश्क एवं विशेष सचिव, भारत सरकार, श्री ए.के. श्रीवास्तव, अतिरिक्त वन महानिदेशक, पर्या; वन एवं जल. परि. मंत्रालय; देहरादून में स्थित सहयोगी संगठनों के मुख्य कार्यपालक गण एवं वरिष्ठ अधिकारियों भा.व.सं. के संकाय सदस्यों, कर्मचारियों शोधकर्ताओं व विद्यार्थियों ने भाग लिया। 

    इस अवसर पर सम्मानीय मंत्री जी ने ‘‘भारत में तटवर्ती एवं समुद्री संरक्षित क्षेत्रः चुनौतियों एवं भविष्य की राह’’ पर एक एन्विस बुलेटिन जारी किया, जो भा.व.सं. के वैज्ञानिक-ई, डा. के. शिवाकुमार द्वारा किया गया था। सम्मानीय मंत्री महोदय की गरिमामयी उपस्थिति की सराहना एवं आभार प्रदर्शन के रूप में भा.व.सं. के निदेशक डा. वी.बी. माथुर ने उन्हें संस्थान परिसर का नव-निर्मित रेखाचित्र स्मृति चिन्ह् एवं भा.व.सं. के वैज्ञानिक ई. डा. बी.एस. अधिकारी द्वारा हिमालय के उच्च स्थानों में पाये जाने वाले दुर्लभ पौधे, ब्ररह्मकमल (Saussurea obvallata) का फे्रम किया हुआ चित्र भेंट किया गया। अन्त में, भा.व.सं. के डीन, डा. पी.के. माथुर ने संपूर्ण प्रक्रिया को संक्षेप में समेटते हुए समारोह में भाग लेनन सम्माननीय मंत्री महोदय एवं सभी जनों का आभार व्यक्त किया।

    सम्माननीय मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पर्यावरण, वन जलवयायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा एन्विस बुलेटिन जारी किया गया ‘‘ भारत में तटवर्ती एवं समुद्री संरक्षित क्षेत्रः चुनौतियां एवं भविष्य की राह’’ पर एन्विस बुलेटिन भारतीय वन्यजीव संस्थान ने ‘‘ भारत में तटवर्ती एवं समुद्री संरक्षित क्षेत्रः चुनौतियाँ एवं भविष्य की राह’’ पर एन्विस बुलेटिन प्रकाशित किया, जिसका सम्माननीय मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा डा. एस.एस. गब्र्याल, वन महानिदेशक एवं विशेष सचिव, भारत सरकार की उपस्थिति में भारतीय वन्यजीव संस्थान में 30 अगस्त, 2014 को विमोचन किया गया।

     

Pages