पारिविकास नियोजन तथा सहभागिता प्रबंधन



पारिविकास एक बहु-अनुशासनिक एवम बहु-भागीदार रणनीति है जिसका उद्देश्य संरक्षित क्षेत्रों के संरक्षण में स्थानीय समुदाय की जीविका से जोड़ना है तथा स्थानीय परिदृश्य को विकसित करना है। संरक्षण की सफलता इस बात पर आवश्यक रूप से निर्भर करती है कि योजनाकार संरक्षण से जुड़े जटिल मुद्दों को कितना समझ सकते हैं तथा देश की समृद्ध योजना की प्रक्रिया में इसका समावेश करते है।  सबसे बड़ी चुनौती संरक्षण की यह है कि इस प्रक्रिया से प्रभावित स्थानीय समुदाय को पहचानना तथा उन्हें योजना, उसके कि्यान्वयन तथा विकास के कार्यक्रम में शामिल करना है। पारिविकास योजना तथा सहभागिता प्रबंधन संकाय का आरम्भ निम्नलिखित उद्देश्यों के लिये किया गया था:

 

 

वन्यजीव संरक्षण में समुदाय सहभागिता के मुददों को समझना।

 

राज्यों के वन विभागों और हितधारकों की क्षमता का विकास करना तथा उन्हें वन्यजीव संरक्षण प्रक्रिया में सम्मिलित करना। स्थानीय समुदाय को संरक्षित क्षेत्रों के प्रबंधन में सम्मिलित करना तथा उनके और हितधारकों के मध्य संरक्षण तथा विकास के मुददों पर आमराय बनाना ताकि स्थानीय परिदृश्य का विकास उचित तरीके से हो सके।

मानव-वनों के पारस्परिक सम्बन्धों पर अनुसंधान करना तथा पारिस्थितिकी तंत्र की सेवाओं का मूल्यांकन करना। इन सेवाओं को स्थानीय समुदाय के कल्याण से जोड़ना तथा उनकी संरक्षण प्रक्रिया में सहभागिता बनाये रखना।

इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये भारतीय वन्यजीव संस्थान ने पारिविकास प्रशिक्षण कार्यक्रम को अपने डिप्लोमा तथा सर्टिफिकेट कोर्स में सम्मिलित किया है। इस कोर्स का सैद्धांतिक भाग एम.एस.सी. पाठयक्रम में विशेष रूप से मॉड्यूल विकसित किये गये हैं, जो मानव पारिस्थितिकी तथा प्राकृतिक संसाधनों के अर्थशास्त्र पर आधारित है। यह संकाय पूरे देश में सूक्ष्म नियोजन हितधारकों की क्षमता का विकास करने में, स्थिर जीविका के साधनों का निर्माण करने में, मतभेदों को समाप्त करने में, आपसी प्रभाव क्षेत्र मूल्यांकन तथा प्रशिक्षण जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में संलग्न है। यह संकाय उपरोक्त क्षेत्रों में परामर्श सेवायें देने के अतिरिक्त संरक्षित क्षेत्रों में पारिविकास योजना तथा सहभागिता प्रबंधन का मूल्यांकन सम्बन्धी कार्य करता है। प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र की एथनोबायोलाजी, सामाजिक-आर्थिक उपयोगिता तथा इसकी जैव विविधता के संरक्षण तथा मनुष्य के कल्याण में योगदान जैसे विषयों पर भी यह संकाय अनुसंधान कर रहा है ताकि इन पर जानकारी एकत्रित की जा सके।
 


रूचि बडोला, पी.एच.डी. 

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