डीन
यादवेन्द्र झाला, पी. एच. डी.
वैज्ञानिक जी
वन्यजीव पारिस्थितिकी एवं संरक्षण जीव विज्ञान विभाग
दूरभाष: 0135-264011-115 विस्तार: 223
ई मेल : jhalay@wii.gov.in
वन्यजीव मेरा बचपन से शौक रहा है। मैंने प्राणी विज्ञान विषय में स्नातक डिग्री तथा स्नातकोर डिग्री की पढ़ाई बम्बई विश्ववविद्यालय से पूर्ण की। पी. एच. डी. के लिए विर्जीनिया पोलीटेकनिक संस्थान तथा स्टेट यूनिवर्सिटी से शोध अध्ययन किया। मैंने शिकार (ब्लैकबक) एवं शिकारी (वोल्फ) के रूप में दोनों संकटग्रस्त प्रजातियों के प्राकृतिकवास आवश्यकताओं के प्रबंधन में आशातीत प्रयोग किये। मैंने पोस्टडाक्टोरल फैलोशिप स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूशन से प्राप्त तथा डबली लेबल्ड वाटर के प्रयोग में पुनरूत्पादक ऊर्जा विज्ञान पर अध्ययन किया। बाद में, मैंने चीन में स्मिथ सोनियन इंस्टीट्यूशन, तंजानिया, मलेशिया, भारत तथा यू. एस. ए. में वन्यजीव संरक्षण एवं प्रबंधन के क्षेत्र में शिक्षण प्रदान किया। मैंने वर्ष 1993 में भारतीय वन्यजीव संस्थान में सेवा आरंभ की तथा तब से भारतीय मांसभक्षियों पर क्रियाशील अनुसंधान कार्यक्रम किये हैं। मैंने वी. एच. एफ., जी. पी. एस., सैटेलाइट तथा रिकैप्चर टैलीमेट्री का प्रयोग करते हुए भारतीय वोल्फ, स्ट्रिप्ड ह्ायना, गोल्डन जैकाल, भारतीय फाक्स, एशियाई लायन तथा टाईगर पर आधारित शोध परियोजना का पर्यवेक्षण किया है। मैं वन्यजीव विज्ञान में एम. एस. सी. के लिए बायोमेट्री एवं जनसंख्या पारिस्थितिकी तथा वन्यजीव प्रबंधन में डिप्लोमा पाठ्यक्रम के लिए व्यवहारिक जनसंख्या पारिस्थितिकी की शिक्षा प्रदान करता हूँ । मैं स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूट में रिसर्च एसोसियेट के एवं वोल्फ व कैनिड्स के लिए गठित आई. यू. सी. एन., एस. एस. सी स्पेशलिस्ट ग्रुप के सदस्य के रूप में कार्यरत् हूँ ।
विशिष्टता
- जनसंख्या पारिस्थितिकी, पोषण पारिस्थितिकी, मात्रात्मक पारिस्थितिकी, वन्यजन्तु व्यवहार, संरक्षण जीवविज्ञान।
वर्तमान परियोजनाएं
गे्रटरगिर भूदृश्य में शेरों की पारिस्थितिकी। | |
कच्छ के संकटापन्न एवं संकटग्रस्त वन्यजन्तुओं का संरक्षण एवं शोध। | |
कान्हा टाईगर रिजर्व में बाघों का अनुश्रवण एवं पारिस्थितिकी। | |
सुन्दरबन्स में बाघों की जनसंख्या का अनुमान तथा पारिस्थितिकी। | |
रणथंभौर में बाघों की पारिस्थितिकी और निगरानी. | |
बाघों की स्थिति, सह शिकारियों, शिकार और भारत में उनके निवास स्थान पर नजर रखना | |
मुख्य प्रकाशन
झाला वाई. वी., आर. गोपाल एवं क्यू. कुरेशी (2008)। भारत में बाघों , परभक्षियों, शिकार की स्थिति। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, भारत सरकार नई दिल्ली/भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून। टी. आर. 08/001 पी. पी.- 151. | |
ईश्वरन के. एवं वाई. वी. झाला (2000)। ब्लैकबक ( एन्टीलोप सर्विकेपरा) में लैकिंग मूल्यों में विभिन्नता मादान अन्तः क्रिया पद्वतियां लैक प्रदेश में सम्बन्ध। बीहेवियर 137ः547-563। | |
शर्मा डी. के., जे. माल्दोनादो, वाई. वी. झाला एवं आर. फिशर (2004) भारत में प्राचीन भेडि़यों की रेखांकिकी। बायोलाॅजी लैटर्स। लंदन के रायल सोसाइटी की कार्यवाही 271: एस1-4। | |
झाला वाई. वी. (1997) ब्लैकबक की पौषणिक पारिस्थितिकी पर मौसमीय प्रभाव। जर्नल आफ एप्लाईड इकोलोजी 34:1348-1358। | |
झाला वाई. वी. (1993)। वेल्दार वोल्फ पैक द्वारा ब्लैकबक का परभक्षण। कंसरवेशन बायोलोजी 7 (4) 874-881। |
Last Updated: February 24, 2022