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मैंने वन्यजीव विज्ञान विषय में एम.एस.सी., अलीगढ़ विश्वविधालय से 2009 में उत्तीर्ण किया। इस पाठयक्रम के अन्तर्गत मैंने 'इकोलाजी एसपेक्ट आफ रिइन्ट्रोडयूस्ड कैपिटव गे्रट इणिडयन वन हार्नड राइनोसोर्स यूनिकार्निस इन मानस नेशनल पार्क, आसाम विषय पर शोध निबन्ध लिखा। इसके पश्चात मैंने अक्टूबर 2009 में भारतीय वन्यजीव संस्थान में कनिष्ठ शोधकर्ता के रूप में आया। 'कान्हा रिजर्व (मध्य प्रदेश) में बाघों की आबादी के मानीटरिंग स्रोत नामक परियोजना पर कार्य किया। मेरे अनुसंधान के विषय में समिमलित है गतिशीलता तथा संसाधन चयन (कान्हा वन क्षेत्रों का अध्ययन)।

भविष्य में मेरे अनुसंधान रूचि हैं स्तनधारी पशुओं की पारिसिथतिकी, विशेषकर मांसाहारी पशु। वर्तमान में मैं सौराष्ट्र विश्वविधालय में पी.एच.डी. उपाधि के लिए पंजीकृत हूं। यह शोधकार्य में डा0 वार्इ.वी. झाला तथा श्री कमर कुरेशी के निरीक्षण में कर रहा हूँ।

 

उज्जवल कुमार  [ujjwal@wii.gov.in]

मैंने स्नातकोत्तर की उपाधि जन्तु विज्ञान में देवी अहिल्या विश्वविधालय इन्दौर से प्राप्त की तथा एम.फिल पर्यावरणीय विज्ञान में ए.पी.एस. विश्वविधालय रीवा, मध्यप्रदेश से किया। एम.फिल. में मेरे शोध निबन्ध का विषय था - डेरी के अपशिष्ट का उपयोग तथा उपचार बायोगैस निर्माण के द्वारा ग्रासिम उधोग लिमिटेड, बिरला ग्राम नागड़ा का अध्ययन।
 
 मैंने पी.एच.डी. की उपाधि, राजस्थान विश्वविधालय, जयपुर से 2008 में प्राप्त की। पी.एच.डी. की डिग्री के लिए मुझे यूजीसी से स्पेशियल असिस्टेन्स प्रोग्राम (एस.ए.पी.) के अन्तर्गत फेलोशिप प्राप्त हुर्इ, जिसमें मंैने डिपलेपमेन्ट आफ एवियन फेदर पाल्युशन बायोइन्डीकेटर नामक परियोजना पर कार्य किया। इसके पश्चात मैंने डब्ल्यू.पी.ए.-भारत में प्रवेश किया तथा वरिश्ठ अनुसंधानकर्ता के रूप में पर्यावरण तथा वन मंत्रालय द्वारा प्रायोजित परियोजना 'मध्य भारत में कीट नाशक पदार्थ का भारतीय मोर तथा ग्रे फ्लोरिकान पर प्रभाव नामक परियोजना पर कार्य किया तथा केवलादेव राष्ट्रीय पार्क, भरतपुर, राजस्थान तथा माधव राष्ट्रीय पार्क, शिवपुरी, मध्य प्रदेश में अनुसंधान कार्य किया।
 
 2008 में मैंने भावसं में प्रोजेक्ट एसोसिएट के पद पर प्रवेश किया। भावसं तथा यूनेस्को की सहभागिता से चल रही परियोजना पर कार्य करना आरम्भ कर दिया। यह परियोजना केवलादेव विश्व धरोहर स्थल पर चल रही है। मेरी व्यवसायिक दिलचस्पी विश्व धरोहर स्थल की जैव विविधता के संरक्षण के क्षेत्र में है।

भूमेश सिंह भदौरिया  [bhumesh@wii.gov.in]

मैं कनिष्ठ अनुसंधानकर्ता की हैसियत से ट्रान्स हिमालय क्षेत्रों के पक्षीजगत नामक परियोजना पर कार्य कर रहा हूँ। मैंने जन्तु विज्ञान में स्नातकोत्तर उपाधि मौलाना आजाद कालेज, कोलकाता से प्राप्त की। पक्षी अवलोकन, पर्वतों पर चढ़ना तथा फोटोग्राफी आदि मेरी कुछ रूचियाँ हैं। मैं नेचर क्लब जैसे इणिडया नेचर वाच तथा ओरियन्टल बर्ड क्लब का सदस्य हूं। मेरी रूचि मोलिक्यूलर बायोलाजी में भी है।

सुरेश पवन कुमार [pawan@wii.gov.in]

मैंने एम.एस.सी. जन्तु विज्ञान  चौधरी चरण सिंह विश्वविधालय से की है तथा मेरा विशेषज्ञता का विषय था मत्स्य विज्ञान। मैंने आल इणिडया इनिस्टटयूट आफ मेडिकल साइन्सेज में अल्पावधि कोर्स भी किया। प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा भी एफ.आर.आर्इ. देहरादून से किया। इसमें मैंने इकोमारफालाजी एण्ड बायोलाजी आफ स्नो ट्राउट शिजियोथोरेक्स रिचर्डसोनी फ्राम अपर गंगा रिवर बेसिन, उत्तराखण्ड विषय पर शोध निबन्ध लिखा।

 वर्तमान में भावसं में परियोजना सहायक के रूप में 'जैव विविधता संरक्षण तथा ग्रामीण आजीविका का उच्चीकरण नामक परियोजना पर कार्य कर रही हूं। मेरी रूचि वास स्थल पारिसिथतिकी विशेषकर मत्स्य पारिस्थतिकी में है।

वन्दना राजपूत [vandana@wii.gov.in]

मैं विश्व धरोहर जैव विविधता संरक्षक के पद पर जोशीमठ में नन्दा देवी बायोस्फीयर रिजर्व में कार्यरत हूं। मैं परियोजना सहायक के रूप में भावसं-यूनेस्को परियोजना 'र्इनिशियेटिव फार बिलिडंग एकिटव पार्टनरशिप बिटविन प्रोटेक्टेड एरिया प्रोफेशनल्स, लोकल कम्युनिटीज़ एण्ड सिविल सोसाइटी पर कार्य कर रहा हूं। इस परियोजना का उददेश्य भारत में यूनेस्को द्वारा चलाया जा रहा 'विश्व धरोहर जैव विविधता कार्यक्रम को सहायता प्रदान करना है।

 इस कार्यक्रम में केन्द्र बिन्दु निम्नलिखित हैं -

 नन्दादेवी तथा फूलों की घाटी की विश्व धरोहर जैवविविधता माडल को संरक्षण की दृषिट से समरूप माडल दर्शाना। इसके लिए सुरक्षा प्रबन्ध को बलशाली बनाना तथा दीर्घकाल में वन्यजीव क्षेत्र में अगि्रम पंकित में कार्यशील कर्मियों में तथा क्षेत्र प्रबन्धकों में जैव विविधता की मानीटरिंग क्षमता की वृद्धि करना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त स्थानीय समुदायों में पारस्परिक मेल, क्षेत्र प्रबंधन ताकि रिजर्व पार्क में रहने वाले जानवरों तथा लोगों में टकराव कम किया जा सके, जीविकापार्जन के उच्चीकरण के लिए लघु उधोगों जो कि क्षेत्रीय समुदायों के प्रयास से आरम्भ किये जायेंगे, विकास करना।

 विश्व धरोहर जैव विविधता स्कालरशिप कार्यक्रम चलाना, इन क्षेत्रों पर अनुसंधान तथा मानीटरिंग करना, इसके लिए तार्किक तथा रणनीति, सहायता, क्षेत्र प्रबंधन में, नीति सुधार, शासकीय मुददे, संवाद तथा संरक्षण में विधि प्रर्वतन आदि में सहायता प्रदान करना।
 

डा0 हेम चन्द्र [hem@wii.gov.in]

मैंने स्नातकोत्तर उपाधि जन्तु विज्ञान में 2009 में मौलाना आजाद कालेज, कोलकाता से प्राप्त की। उसके पश्चात मैंने भावसं में कार्य करने के अपने सपने को पूरा किया, जब मुझे अनुसंधानकर्ता के रूप में इस संस्थान में प्रवेश मिला। मैं 'अखिल भारतीय बाघ मानीटरिंग परियोजना में कार्य करने लगा।

 वर्तमान में मैं कनिष्ठ अनुसंधानकर्ता के रूप में डा0 वार्इ.वी. झाला तथा श्री कमर कुरेशी के सुपरविजन में 'कार्बेट बाघ रिजर्व में आबादी स्त्रोत मानीटरिंग परियोजना पर कार्य कर रहा हूँ।

 मेरी मुख्य अनुसंधान रूचि पक्षियों के संवाद के अध्ययन करने में है। इसके अतिरिक्त विशाल स्तनधारी जानवरों की आबादी की गतिशीलता तथा उनका अस्पष्ट व्यवहार समझना मेरी अन्य रूचि है।
 

सुदीप बनर्जी [sudip@wii.gov.in]

मैंने कश्मीर विश्वविधालय से 2005 में प्राणी विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की तथा वन्यजीव विज्ञान में स्नातकोत्तर की उपाधि अलीगढ़ मुसिलम विश्वविधालय से प्राप्त की। इस पाठयक्रम के अन्तर्गत मैंने अपर गंगा क्षेत्र में गंगा नदी में डालिफन के पारिसिथतिकीय पहलुओं का अध्ययन किया। 2008 में मैंने भावसं में प्रवेश किया, तब से मैं पीएचडी उपाधि के लिए 'कंचनजंगा बायोस्फीयर रिजर्व, सिकिकम में ऊंचे स्थान में वास करने वाले मांसाहारी पशुओं के पारिसिथतिकीय पहलुओं पर अनुसंधान कर रहा हूं।

मेरी अनुसंधान के क्षेत्र में रूचि मांसाहारी जानवरों की पारिसिथतिकी, ऊंचार्इ वाले स्थानों की पारिसिथतिकी, शिकार-शिकारी संबंध तथा मांसाहारी जानवर-मानव टकराव।

तौकीर बशीर [tbashir@wii.gov.in]

मैंने एम.एस.सी उपाधि वनस्पति विज्ञान में डी.बी.एस. कैम्पस, नैनीताल, कुमाऊं विश्वविधालय से प्राप्त की। वर्तमान में मैं भावसं की 'जैव विविधता संरक्षण तथा ग्रामीण आजीविका उच्चीकरण नामक परियोजना पर श्री वी.के.उनियाल तथा डा0 बी.एस. अधिकारी के सुपरविजन में परियोजना सहायक के रूप में कार्य कर रही हूं। मेरे अध्ययन का क्षेत्र अस्कोट लैण्डस्केप है।

सोनी बिष्ट [sbisht@wii.gov.in]

मैंने 2009 में पुणे विश्वविधालय से पर्यावरण विज्ञान में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की। मेरे वन्यजीव में संरक्षण का सफर 2008 में आरम्भ हुआ, जब मैंने इन्टर्न के रूप में भावसं में प्रवेश किया। इसके पश्चात मैंने 2009 में अखिल भारतीय बाघ मानीटरिंग परियोजना पर कार्य करना आरम्भ कर दिया। मैं पिछले वर्षों से विभिन्न जानवरों की प्रजातियों पर (कीड़ों से स्तनधारी पशु तक) अनुसंधान कार्य में संलग्न हूं। वर्तमान में मैं दून घाटी में कीड़ों के पालीनेटर में कार्य कर रही हूं।

 मेरी मुख्य रूचि वन क्षेत्रों में पौध कीड़ों के पारस्परिक क्रिया में है। इसके अतिरिक्त मैं मौसमी तथा निरन्तर बहने वाली नदियों के वानिकी पर्यावरण में पौधों के पालीनेटर के अध्ययन में भी व्यस्त हूं।

प्रीती एस. विरकर [preeti@wii.gov.in]

बचपन से ही मुझे प्रकृति हर तरफ से आकर्षित करती थाी, जिससे मुझे जन्तु विज्ञान तथा पर्यावरणीय अध्ययन में स्नातक तथा स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने का प्रोत्साहन मिला।

 इसके पश्चात मैंने प्रकृति शिक्षा अधिकारी के रूप में जैवविविधता पार्क कार्यक्रम के अन्तर्गत दिल्ली सरकार में कार्य किया। मैंने 2009 में भावसं में प्रवेश किया और तब से नम भूमि तथा वनों के विभिन्न पहलुओं के अध्ययन में लगी हूं। इस अध्ययन के अन्तर्गत पानी की गुणवत्ता, स्थानीय लोगों की प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भरता, पादपों का विश्लेषण, भारत के लिये पशु बाहुल्य डेटा बेस तैयार करना आदि समिमलित हैं। वर्तमान में मैं हिमालय के ग्रामीण समुदाय, जीविकापार्जन की सुरक्षा, समुदाय पर आधारित वन प्रबंधन आदि के कार्य में जुटी हु्इ हूं। मेरी रूचि में ग्रामीण विकास, सामुदायिक सशकितकरण, समुदाय पर आधारित वन प्रबंधन तथा नम भूमि पारिसिथतिकी में है।

उपमा मनराल [upma@wii.gov.in]

मुझे प्रकृति के संरक्षण का उत्तरदायित्व अपने परिवार से धरोहर के रूप में मिला संरक्षण की रूचि विज्ञान तथा बुद्धिमता से जुड़ी होनी आवश्यक है। प्राणी विज्ञान में स्नातक की उपाधि अर्जित करने के पश्चात मैंने जियोइन्फार्मेटिक्स के क्षेत्र में स्नातकोत्तर की उपाधि पुने विश्वविधालय से प्राप्त की। स्नातकोत्तर के शोध निबन्ध के लिए मैंने 'स्टोकेसिटक प्रोसेस गवर्निंग बायोलाजिकल इनवेजन विषय पर प्रो0 कमर कुरैशी तथा डा0 वार्इ.वी. झाला के निरीक्षण में कार्य किया। तब से मैं कर्इं अन्य परियोजनाओं पर कार्यरत हूं। यह परियोेजना संकटग्रस्त प्रजाति जैसे बाघ जनगणना, गिद्ध एडवोकेसी के संरक्षण तथा नीति निर्धारण से संबंधित है।

 वर्तमान में मैं एम.स्ट्राइप्स का सदस्य होने के रूप से 'बाघ संरक्षण में विज्ञान नीति तथा कार्यकलापों में उत्पन्न अन्तराल को बांधने से संबंधित परियोजना में कार्य कर रहा हूं।
 
 पीएचडी उपाधि के अनुसंधान के लिए मेरा विषय है 'पैटर्न एण्ड स्ट्रेटेजी इनवेज़न, जहां मैं सफल बायोलाजिकल इनवेज़न में शामिल गणित तथा खेलों का अध्ययन करूंगा। मैं भूगोलिक सूचना तन्त्र मंें विशेष रूचि रखने के अतिरिक्त, दर्शन शास्त्र, इतिहास, कला, शिक्षा तथा समन्वय पारिसिथतिकी में रूचि रखता हूं।
 

निनाद शास्त्री [ninadm@wii.gov.in]

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