वन्यजीव फोरेंसिक एवं संरक्षण आनुवंशिकी सेल



भारतीय वन्यजीव संस्थान को वर्ष 1987 के बाद से वन्यजीवों के विरुद्ध किये गये अपराधों के प्रकरण विभिन्न इन्फोर्समेन्ट एजेन्सियों के द्वारा मिलते रहे हैं। इस सन्दर्भ में यह अनुभव किया गया कि भारतीय वन्यजीव 

(सुरक्षा) अधिनियम (1972) को लागू करने में तथा वन्यजीव अपराध प्रकरण को सुलझाने में संदर्भ सामग्री का अभाव तथा जानवरों तथा पौधों की प्रजातियों की पहचान करने के लिये निश्चित प्रणाली का अभाव था। अतः वन्यजीव फोरेन्सिक क्षमता को अधिक सशक्त बनाने की आवश्यकता पड़ी ताकि इन्फोर्समेन्ट एजेन्सियों द्वारा भारतीय वन्यजीव (सुरक्षा) अधिनियम (1972) को सही प्रकार से लागू किया जा सके और अवैध  वन्यजीव व्यापार का रोकना।

इस सन्दर्भ में यू.एस.फिश तथा वन्यजीव सेवायें तथा भारतीय वन्यजीव संस्था ने सहभागिता के आधार पर एक परियोजना अक्टूबर 1995 में आरम्भ की जिसका उद्देश्य वन्यजीव फोरेन्सिक क्षमता को भारतीय वन्यजीव संस्थान में अनुसंधान द्वारा विकसित करना तथा विभिन्न इन्फोर्समेन्ट एजेन्सियों के साथ यह ज्ञान बाँटना।

 भारतीय वन्यजीव संस्थान ने फॉरेंसिक प्रयोगशाला के लिये लौजेस्टिक सहायता तथा स्थान उपलब्ध कराया और आधारभूत सुविधायें वन्यजीव फोरेन्सिक परियोजना के अन्र्तगत् प्राप्त हुई हैं। फॉरेंसिक प्रयोगशाला ने जनवरी 1998 में कार्य करना आरम्भ किया।

कार्मिक 

डा0 डा0 वा्इ.वी. झाला, वैज्ञानिक-जी, नोडल अधिकारी (ई-मेलः jhalay@wii.gov.in)
डॉ एस.पी. गोयल, एमेरिटस वैज्ञानिक
श्री सन्दीप कुमार गुप्ता, वैज्ञानिक-डी
डॉ एस मंडल, प्रेरणा फैलो
श्री सी.पी.शर्मा, टेक्नीकल स्टाफ 
श्री. मधनराज, तकनीकी स्टाफ
श्री गिरधर थापा, कार्यालय सहायक